Monday, March 7, 2011

GO FOR YOUR DREAM ® Mind Movies Series

Saturday, March 5, 2011

गाँधी जी ने ये बहुत स्पस्ट कह दिया था कि कोंग्रेस को खत्म कर दो ......... अगर इस कोंग्रेस को खत्म नहीं किया तो ये कोंग्रेस देश को वैसे ही लूटेगी जैसे ये अंग्रेज लूटते रहे है ..............कांग्रेस पार्टी को एक अंग्रेज व्यक्ति ने बनाया था | ए ओ ह्यूम उसका नाम था | कोंग्रेस की जब स्थापना हुई सन 1885 में गोकुलदास तेजपाल भवन में तो बाकायदा कोंग्रेस का प्रेम्बुल (प्रस्तावना) लिखा गया था वो क्या था ? प्रस्तावना में लिखा गया था कि कोंग्रेस पार्टी एक मनोरंजन क्लब के रूप में स्थापित हुई थी इस देश में | मौज मस्ती का क्लब था | और अंग्रेज क्या कहा करते थे कि - "इस कांग्रेस पार्टी में हम ऐसे पढ़े लिखे हिन्दुस्तानियों को हम जमा कर देंगे जो हिन्दुस्तानियों के मन में जो थोडा बलबला है और वो बलबला इस पार्टी में निकल आएगा तो फूट कर बाहर निकल जायेगा | और कोंग्रेस को अंग्रेज कहा करते थे कि ये सेफ्टी वाल्व है | फ्यूज की तरह से उड़ जायेगा | इसलिए कोंग्रेस की नीव पड़ी | ऐसे नीव पड़ी है इस पार्टी की | और दुर्दिन तो इस पार्टी को देखने ही थे | अगर महात्मा गाँधी न आये होते दक्षिण अफ्रीका से तो कोंग्रेस पार्टी को पूछने वाला कोई नहीं था इस देश में | गाँधी जी ने आके इसमें प्राण फूंके थे और गाँधी जी ने आके इसे जन आन्दोलन का रूप दिया था | बाद में गाँधी जी खुद इतने दुखी हुवे कि उन्होंने आजीवन कोंग्रेस को इस्तीफ़ा दे दिया | और बाद में गाँधी जी कांग्रेस पार्टी में मेम्बर तक नहीं रहे | और अंत में जीवन के आखिरी दोनों में गाँधी जी ने ये बहुत स्पस्ट कह दिया था कि कोंग्रेस को खत्म कर दो | क्यों ? आखिर गाँधी जी ने इतनी कडवी बात क्यों कही ? गाँधी जी कहते थे कि अगर इस कोंग्रेस को खत्म नहीं किया तो ये कोंग्रेस देश को वैसे ही लूटेगी जैसे ये अंग्रेज लूटते रहे है | लेकिन इन कोंग्रेसियों ने कोंग्रेस तो खत्म नहीं की, गाँधी को खत्म करवा दिया | क्योंकि गाँधी उनके रास्ते की रुकावट बनने लगे थे | और बाद में जब कोंग्रेस खत्म नहीं हुई तो आज आप उसका हस्र देख रहे हो|हिन्दुस्तान में घोटाले दर घोटाले ! इस पार्टी ने रिकोर्ड कायम किया है | और गाँधी जी यही कहा करते थे कि अगर ये कोंग्रेस खत्म नहीं हुई तो देश को ऐसे लूटेगी जैसे अंग्रेज लूटा करते थे | और आज गाँधी जी की वही बात सत्य साबित हो रही है इस देश में | और ऐसे धोखाधड़ी से ऐसे चार सो बीसी के काम से पंडित नेहरु इस देश के प्रधानमन्त्री बने थे | और ऐसी धोखाधड़ी से इस देश की आजादी आई हो तो वो आजादी आजादी है कहाँ ? और इसीलिए गाँधी जी 14 अगस्त 1947 की रात को दिल्ली में नहीं आये थे | वो नुव्खाली में थे | और कोंग्रेस के बड़े नेता गाँधी जी को बुलाने के लिए गए थे कि बापू चलिए आप | गाँधी जी ने मना कर दिया था | क्यों ? गाँधी जी कहते थे कि मै मानता नहीं कि कोई आजादी आ रही है | और गाँधी जी ने स्पस्ट कह दिया था कि ये आजादी नहीं आ रही है सत्ता के हस्तांतरण का समझौता हो रहा है | आजादी नहीं आ रही है | और गाँधी जी ने नोआखाली से प्रेस विज्ञप्ति जारी की थी | उस प्रेस स्टेटमेंट के पहले ही वाक्य में गाँधी जी ने ये कहा कि मै हिन्दुस्तान के उन करोडो लोगों को ये सन्देश देना चाहता हु कि ये जो तथाकथित आजादी (So Called Freedom) आ रही है ये मै नहीं लाया | ये सत्ता के लालची लोग सत्ता के हस्तांतरण के चक्कर में फंस कर लाये है | मै मानता नहीं कि इस देश में कोई आजादी आई है | और 14 अगस्त 1947 कि रात को गाँधी जी दिल्ली में नहीं थे नोआखाली में थे | माने भारत की राजनीति का सबसे बड़ा पौधा जिसने हिन्दुस्तान की आज़ादी की लड़ाई की नीव रखी हो वो आदमी 14 अगस्त 1947 की रात को दिल्ली में मौजूद नहीं था | क्यों ? इसका अर्थ है कि गाँधी जी इससे सहमत नहीं थे | और 14 अगस्त 1947 की रात को जो कुछ हुवा है वो आजादी नहीं आई .... ट्रान्सफर ऑफ़ पॉवर का एग्रीमेंट का साइन हुवा था पंडित नेहरु और लोर्ड माउन्ट बेटन के बीच में | ट्रान्सफर ऑफ़ पॉवर का एग्रीमेंट और इनडिपेंडेंस ये दो अलग चीजे है | स्वतंत्रता और सत्ता का हस्तांतरण ये दो अलग चीजे है | और सत्ता का हस्तांतरण कैसे होता है ? आज आप देखिये एक पार्टी की सरकार है, वो चली जाये| दूसरी पार्टी की सरकार आती है | तो दूसरी पार्टी का प्रधानमन्त्री जब शपथ ग्रहण करता है , तो वो शपथ ग्रहण करने के तुरंत बाद एक कॉपी (प्रतिलिपि) पर हस्ताक्षर करता है, शायद आपने देखा होगा | तो जिस कॉपी पर आने वाला प्रधानमन्त्री हस्ताक्षर करता है, उसी कॉपी को ट्रान्सफर ऑफ़ पॉवर की बुक कहते है | और उस पर हस्ताक्षर के बाद पुराना प्रधानमन्त्री नए प्रधानमन्त्री को सत्ता सौंप देता है | और वो निकल कर बाहर चला जाता है | यही नाटक हुवा था 14 अगस्त 1947 की रात को 12 बजे | लोर्ड माउन्ट बेटन ने अपनी सत्ता पंडित नेहरु के हाथ में सौंपी थी , और हमने कह दिया कि स्वराज्य आ गया! कैसा स्वराज्य और कहे का स्वराज्य ? अंग्रेजो के लिए स्वराज्य का मतलब क्या था ? और हमारे लिए स्वराज्य का मतलब क्या था ? अंग्रेज कहते थे की हमने स्वराज्य दिया| माने अंग्रेजों ने अपना राज तुमको सौंप दिया| ये अंग्रेजो का interpretation (व्याख्या/अर्थ) था | और हिन्दुस्तानी लोगों का interpretation था कि हमने स्वराज्य ले लिया | अंग्रेजों ने अपना राज तुमको सौंपा था ताकि तुम लोग कुछ दिन इसे चला लो जब जरुरत पड़ेगी तो हम दुबारा आ जायेंगे| अब वो दौबारा आने वाले है .......... बात को गंभीरता से समझो .............
अंग्रेजों का ही बनाया क़ानून, उन्ही की शिक्षा पद्धति, उन्ही का बनाया स्वास्थ्य पद्धति, उन्ही की न्याय व्यवस्था, यहाँ तक की उन्ही की भाषा, सब कुछ वही है. अपना कुछ भी नहीं. हम तो बस उन्ही का राज चला रहें हैं. दुःख की बात ये है की ये सारी बातें लोगों से गुप्त रखी गयी थी. जनता को सच्चाई बताई ही नहीं गयी और ना ही इसे छात्रों के पाठ्यक्रम में डाला गया. क्यूंकि सरकार ये नहीं चाहती कि जनता को सारी बातें मालूम चलें. अब बात ये है कि अँगरेज़ यहाँ भारत को लूटने आये थे, हमारा उद्धार करने तो कतई नहीं. इसीलिए उन्होंने जो नीतियाँ बने वो शोषण के लिए थी. हमारी सरकारें वही नीतियाँ चला रही हैं. यही कारण है कि आज तक जनता का भला नहीं हो सका. शक्तिशाली लोग क़ानून से नहीं डरते. आम आदमी कानून से पीड़ित है. इतनी योजनायें लागू होने के बाद भी किसी का कुछ भी कल्याण नहीं हुआ. सिर्फ अफसरों और नेताओ का ही भला हुआ. इसीलिए अब हमें पूरा सिस्टम ही बदलना होगा जो वास्तव में जनहितकरी हो.


रामदॆव बाबा क्या गलत कह रहॆ हे /यह समझ सॆ परॆ हे कि राज नॆता मुद्दॊ पर कारवाइ नही कर बाबा कॊ क्यॊ आरॊपित कर रहॆ हे |जब भारतिय लॊकतन्त्र मॆ व्यवस्था हे कि कॊई भी भारतिय नागरिक राजनिति मॆ आ सकता हे तॊ बाबा क्यॊ नही ऒर भारत का तॊ इतिहास रहा हे कि जॊ राजा धारमिक प्रवर्ति का रहा हे वह लॊकप्रिय भी रहा हे ऒर प्रजा भी कुशहाल रही हे साथ ही राजा जब कभी दुबिधा मॆ रहता था तॊ आश्रम मॆ महात्माऒ कॆ पास जा कर उनसॆ मन्त्रणा कर समाधान प्राप्त करता था |बाबा कॆ पास कालाधन हे या नही ,लॆकिन यह तॊ सचहे ही कि यह काला धन कमसॆकम भारत मॆ हे तथा भारत की जनता कॆ काम आ रहा हॆ |ऒर बाबा कॆ पास काला धन आया भी हे तॊ दान मॆ ,यदि सभी लॊग काला धन का उपयॊग जन सॆवा कार्य मॆ लगायॆ तॊ इससॆ अछा कार्य क्या हॊ सकता हे |लॆकिन यदि राजनॆतिक पार्टियॊ कॊ दॆतॆ हे तॊ इससॆ बडा पाप कॊइ नही हॊ सकता | कॊन नही जानता की राजनॆताऒ मॆ कितनी नॆतिकता रही हे सब जनता जानती हे लॆकिन सगठित नही हॊनॆ सॆ बॊल नही पाती हे नॆताऒ कॊ चाहियॆ कि बाबा पर हमला बॊलनॆ कॆ बजाय बाबा की बातॊ पर गॊर करॆ यदि करनॆ लायक हे तॊ ऒर नही हे तॊ बाबा जॊ बॊल रहॆ हे बॊलतॆ रहॆ ,यदि बाबा कि बातॊ पर ध्यान दॆ रहॆ हॆ तॊ यह तॊ सत्य हे कि बाबा नॆ सही व राजनॆताऒ की नस पकड ली हे जीससॆ लॊग तिलमिला रऎ हे |हम तॊ बाबा कि बातॊ पर ही अब गॊर करनॆ लगॆ हे

RAMAAVATARA GUPTA (JAIPUR, INDIA)

u.k.हमारे भारत पर करीब 200 सालो तक राजकरके करीब 1 लाखकरोड़ रुपये लूटा. मगर आजादी के केवल 64 सालों में हमारे भ्रस्टाचार ने280लाख करोड़ लूटा है. एक तरफ 200 साल में 1 लाख करोड़ है और दूसरी तरफ केवल 64सालों में 280 लाख करोड़ है. यानि हर साल लगभग 4.37 लाख करोड़, या हर महीनेकरीब 36 हजार करोड़ भारतीय मुद्रा स्विस बैंक में इन भ्रष्ट लोगों द्वारा जमाकरवाई गई है. भारत को किसी वर्ल्ड बैंक के लोन की कोई दरकार नहीं है. सोचो कीकितना पैसा हमारे भ्रष्ट राजनेताओं और उच्च अधिकारीयों ने ब्लाक करके रखा हुआहै. हमे भ्रस्ट राजनेताओं और भ्रष्ट अधिकारीयों के खिलाफ जाने का पूर्ण अधिकारहै.हाल ही में हुवे घोटालों का आप सभी को पता ही है - CWG घोटाला, २ जीस्पेक्ट्रुम घोटाला , आदर्श होउसिंग घोटाला ... और ना जाने कौन कौन से घोटालेअभी उजागर होने वाले है ........आप लोग जोक्स फॉरवर्ड करते ही हो. इसे भी इतनाफॉरवर्ड करो की पूरा भारत इसे पढ़े ... और एक आन्दोलन बन जाये ...सदियोकी ठण्डी बुझी राख सुगबुगा उठी, मिट्टी सोने का ताज् पहन इठलातीहै।दो राह,समयके रथ का घर्घर नाद सुनो,सिहासन खाली करो की जनता आती


भ्रष्‍टाचार और काला धन के खिलाफ लड़ाई मोल लेने वाले बाबा रामदेव पर राजनेताओं के हमले जारी हैं। क्या बाबा का यह आरोप सही है कि कि भ्रष्टाचार के लिए राजनेता जिम्मेदार हैं? आखिर राजनेता इस तरह बाबा के पीछे क्‍यों पड़े हैं? क्या बाबा भी धर्म और राजनीति का घालमेल नहीं कर रहे हैं? क्या कांग्रेस का यह आरोप कि बाबा सस्ती राजनीति कर रहे हैं ठीक है? क्‍या योग गुरू की संपत्ति की भी सीबीआई जांच होनी चाहिए?

एक लड़का साइकिल पर बडी तेज़ी से जा रहा था कि एक बूढे़ से टक्‍कर हो गयी, दोनो गिर पडे़। बूढा फोरन उठा और लड़के को एक रुपये देते हुए कहा, "लो बेटा! अंधो को भीख देना बडे़ पुण्य का काम है।



मुन्नालाल बिना हेलमेट के स्कूटर से जा रहा था। उसे दरोगा ने रोका और चालान काटने लगा।

मुन्नालाल बोला- सर, मैं तो पान की दुकान पर जा रहा हूं।

दरोगा- अरे, मैं भी वहीं जा रहा हूं। चल...चालान काट दूं...फिर दोनों साथ चलते हैं। वैसे तुम काम क्या करते हो?

मुन्नालाल- जी, मेरी पान की दुकान है
कभी भी कामयाबी को दिमाग में और नाकामी को दिल में जगह नहीं देना चाहिए क्योंकि... कामयाबी दिमाग में गुरूर और नाकामी दिल में मायूसी पैदा कर देती है


जब पेपर हो आउट ऑफ कंट्रोल आनसर शीट को करके फोल्ड एरोप्लेन बना के बोल आल इज फेल

Thursday, March 3, 2011

भारतीय गरीब है लेकिन भारत देश कभी गरीब नहीं रहा" ये कहना है स्विस बैंक के

डाइरेक्टर का. स्विस बैंक के डाइरेक्टर ने यह भी कहा है कि भारत का लगभग 280

लाख करोड़ रुपये (280 ,00 ,000 ,000 ,000) उनके स्विस बैंक में जमा है. ये रकम

इतनी है कि भारत का आने वाले 30 सालों का बजट बिना टैक्स के बनाया जा सकता है.

या यूँ कहें कि 60 करोड़ रोजगार के अवसर दिए जा सकते है. या यूँ भी कह सकते है

कि भारत के किसी भी गाँव से दिल्ली तक 4 लेन रोड बनाया जा सकता है. ऐसा भी कह

सकते है कि 500 से ज्यादा सामाजिक प्रोजेक्ट पूर्ण किये जा सकते है. ये रकम

इतनी ज्यादा है कि अगर हर भारतीय को 2000 रुपये हर महीने भी दिए जाये तो 60

साल तक ख़त्म ना हो. यानी भारत को किसी वर्ल्ड बैंक से लोन लेने कि कोई जरुरत

नहीं है. जरा सोचिये ... हमारे भ्रष्ट राजनेताओं और नोकरशाहों ने कैसे देश को

लूटा है और ये लूट का सिलसिला अभी तक 2011 तक जारी है. इस सिलसिले को अब रोकना

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