Saturday, March 5, 2011

गाँधी जी ने ये बहुत स्पस्ट कह दिया था कि कोंग्रेस को खत्म कर दो ......... अगर इस कोंग्रेस को खत्म नहीं किया तो ये कोंग्रेस देश को वैसे ही लूटेगी जैसे ये अंग्रेज लूटते रहे है ..............कांग्रेस पार्टी को एक अंग्रेज व्यक्ति ने बनाया था | ए ओ ह्यूम उसका नाम था | कोंग्रेस की जब स्थापना हुई सन 1885 में गोकुलदास तेजपाल भवन में तो बाकायदा कोंग्रेस का प्रेम्बुल (प्रस्तावना) लिखा गया था वो क्या था ? प्रस्तावना में लिखा गया था कि कोंग्रेस पार्टी एक मनोरंजन क्लब के रूप में स्थापित हुई थी इस देश में | मौज मस्ती का क्लब था | और अंग्रेज क्या कहा करते थे कि - "इस कांग्रेस पार्टी में हम ऐसे पढ़े लिखे हिन्दुस्तानियों को हम जमा कर देंगे जो हिन्दुस्तानियों के मन में जो थोडा बलबला है और वो बलबला इस पार्टी में निकल आएगा तो फूट कर बाहर निकल जायेगा | और कोंग्रेस को अंग्रेज कहा करते थे कि ये सेफ्टी वाल्व है | फ्यूज की तरह से उड़ जायेगा | इसलिए कोंग्रेस की नीव पड़ी | ऐसे नीव पड़ी है इस पार्टी की | और दुर्दिन तो इस पार्टी को देखने ही थे | अगर महात्मा गाँधी न आये होते दक्षिण अफ्रीका से तो कोंग्रेस पार्टी को पूछने वाला कोई नहीं था इस देश में | गाँधी जी ने आके इसमें प्राण फूंके थे और गाँधी जी ने आके इसे जन आन्दोलन का रूप दिया था | बाद में गाँधी जी खुद इतने दुखी हुवे कि उन्होंने आजीवन कोंग्रेस को इस्तीफ़ा दे दिया | और बाद में गाँधी जी कांग्रेस पार्टी में मेम्बर तक नहीं रहे | और अंत में जीवन के आखिरी दोनों में गाँधी जी ने ये बहुत स्पस्ट कह दिया था कि कोंग्रेस को खत्म कर दो | क्यों ? आखिर गाँधी जी ने इतनी कडवी बात क्यों कही ? गाँधी जी कहते थे कि अगर इस कोंग्रेस को खत्म नहीं किया तो ये कोंग्रेस देश को वैसे ही लूटेगी जैसे ये अंग्रेज लूटते रहे है | लेकिन इन कोंग्रेसियों ने कोंग्रेस तो खत्म नहीं की, गाँधी को खत्म करवा दिया | क्योंकि गाँधी उनके रास्ते की रुकावट बनने लगे थे | और बाद में जब कोंग्रेस खत्म नहीं हुई तो आज आप उसका हस्र देख रहे हो|हिन्दुस्तान में घोटाले दर घोटाले ! इस पार्टी ने रिकोर्ड कायम किया है | और गाँधी जी यही कहा करते थे कि अगर ये कोंग्रेस खत्म नहीं हुई तो देश को ऐसे लूटेगी जैसे अंग्रेज लूटा करते थे | और आज गाँधी जी की वही बात सत्य साबित हो रही है इस देश में | और ऐसे धोखाधड़ी से ऐसे चार सो बीसी के काम से पंडित नेहरु इस देश के प्रधानमन्त्री बने थे | और ऐसी धोखाधड़ी से इस देश की आजादी आई हो तो वो आजादी आजादी है कहाँ ? और इसीलिए गाँधी जी 14 अगस्त 1947 की रात को दिल्ली में नहीं आये थे | वो नुव्खाली में थे | और कोंग्रेस के बड़े नेता गाँधी जी को बुलाने के लिए गए थे कि बापू चलिए आप | गाँधी जी ने मना कर दिया था | क्यों ? गाँधी जी कहते थे कि मै मानता नहीं कि कोई आजादी आ रही है | और गाँधी जी ने स्पस्ट कह दिया था कि ये आजादी नहीं आ रही है सत्ता के हस्तांतरण का समझौता हो रहा है | आजादी नहीं आ रही है | और गाँधी जी ने नोआखाली से प्रेस विज्ञप्ति जारी की थी | उस प्रेस स्टेटमेंट के पहले ही वाक्य में गाँधी जी ने ये कहा कि मै हिन्दुस्तान के उन करोडो लोगों को ये सन्देश देना चाहता हु कि ये जो तथाकथित आजादी (So Called Freedom) आ रही है ये मै नहीं लाया | ये सत्ता के लालची लोग सत्ता के हस्तांतरण के चक्कर में फंस कर लाये है | मै मानता नहीं कि इस देश में कोई आजादी आई है | और 14 अगस्त 1947 कि रात को गाँधी जी दिल्ली में नहीं थे नोआखाली में थे | माने भारत की राजनीति का सबसे बड़ा पौधा जिसने हिन्दुस्तान की आज़ादी की लड़ाई की नीव रखी हो वो आदमी 14 अगस्त 1947 की रात को दिल्ली में मौजूद नहीं था | क्यों ? इसका अर्थ है कि गाँधी जी इससे सहमत नहीं थे | और 14 अगस्त 1947 की रात को जो कुछ हुवा है वो आजादी नहीं आई .... ट्रान्सफर ऑफ़ पॉवर का एग्रीमेंट का साइन हुवा था पंडित नेहरु और लोर्ड माउन्ट बेटन के बीच में | ट्रान्सफर ऑफ़ पॉवर का एग्रीमेंट और इनडिपेंडेंस ये दो अलग चीजे है | स्वतंत्रता और सत्ता का हस्तांतरण ये दो अलग चीजे है | और सत्ता का हस्तांतरण कैसे होता है ? आज आप देखिये एक पार्टी की सरकार है, वो चली जाये| दूसरी पार्टी की सरकार आती है | तो दूसरी पार्टी का प्रधानमन्त्री जब शपथ ग्रहण करता है , तो वो शपथ ग्रहण करने के तुरंत बाद एक कॉपी (प्रतिलिपि) पर हस्ताक्षर करता है, शायद आपने देखा होगा | तो जिस कॉपी पर आने वाला प्रधानमन्त्री हस्ताक्षर करता है, उसी कॉपी को ट्रान्सफर ऑफ़ पॉवर की बुक कहते है | और उस पर हस्ताक्षर के बाद पुराना प्रधानमन्त्री नए प्रधानमन्त्री को सत्ता सौंप देता है | और वो निकल कर बाहर चला जाता है | यही नाटक हुवा था 14 अगस्त 1947 की रात को 12 बजे | लोर्ड माउन्ट बेटन ने अपनी सत्ता पंडित नेहरु के हाथ में सौंपी थी , और हमने कह दिया कि स्वराज्य आ गया! कैसा स्वराज्य और कहे का स्वराज्य ? अंग्रेजो के लिए स्वराज्य का मतलब क्या था ? और हमारे लिए स्वराज्य का मतलब क्या था ? अंग्रेज कहते थे की हमने स्वराज्य दिया| माने अंग्रेजों ने अपना राज तुमको सौंप दिया| ये अंग्रेजो का interpretation (व्याख्या/अर्थ) था | और हिन्दुस्तानी लोगों का interpretation था कि हमने स्वराज्य ले लिया | अंग्रेजों ने अपना राज तुमको सौंपा था ताकि तुम लोग कुछ दिन इसे चला लो जब जरुरत पड़ेगी तो हम दुबारा आ जायेंगे| अब वो दौबारा आने वाले है .......... बात को गंभीरता से समझो .............

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